लग्न कुंडली में कौन सा घर किसका होता है | 12 भावों का सरल विश्लेषण

लग्न कुंडली में कौन सा घर किसका होता है | 12 भावों का सरल विश्लेषण

लग्न कुंडली में कौन सा घर किसका होता है | 12 भावों का सरल विश्लेषण

जानिए लग्न कुंडली में कौन सा घर किसका होता है और लग्न कुंडली के 12 भाव क्या दर्शाते हैं और उनका आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।

भारतीय ज्योतिष शास्त्र एक ऐसा अद्भुत विज्ञान है जो हमारे जीवन की गहराइयों को समझने और उन्हें दिशा देने की शक्ति रखता है। इसमें लग्न कुंडली (जन्म पत्रिका) का विशेष स्थान है। लेकिन अक्सर लोग इस बात को लेकर भ्रमित रहते हैं कि कुंडली में जो 12 भाव होते हैं, वे किससे संबंधित होते हैं और उनका जीवन में क्या प्रभाव पड़ता है।

आइए आज समझते हैं कि कुंडली के 12 भाव (घर) क्या दर्शाते हैं और हर भाव का हमारे जीवन से क्या संबंध होता है।

पहला घर (लग्न भाव) – स्वयं और शरीर

यह भाव व्यक्ति के स्वभाव, रंग-रूप, स्वास्थ्य, व्यक्तित्व और जीवन की शुरुआत को दर्शाता है। यह घर यह तय करता है कि कोई व्यक्ति जीवन में आत्मविश्वासी है या संकोची, आकर्षक है या साधारण।

दूसरा घर – धन और वाणी

यह भाव धन, परिवार, भाषण शैली, खान-पान और संग्रह की प्रवृत्ति से जुड़ा होता है। व्यक्ति के प्रारंभिक पारिवारिक माहौल और जमा पूंजी का संकेत इसी घर से मिलता है।

तीसरा घर – पराक्रम और भाई-बहन

तीसरा भाव बताता है कि कोई व्यक्ति कितना साहसी, मेहनती और रचनात्मक है। यह घर छोटे भाई-बहनों, हाथों की क्रियाशीलता और कम्युनिकेशन से संबंधित होता है।

चौथा घर – मां, सुख और संपत्ति

यह घर जीवन के घरेलू सुख, माता, वाहन, जमीन-जायदाद और मन की शांति से जुड़ा होता है। यदि यह घर मजबूत हो तो व्यक्ति को मानसिक और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।

पाँचवां घर – संतान और विद्या

यह भाव शिक्षा, बुद्धिमत्ता, संतान, प्रेम संबंध, और रचनात्मकता से जुड़ा है। यह व्यक्ति के भाग्य और उसकी पसंदीदा गतिविधियों का संकेत देता है।

छठा घर – रोग, ऋण और शत्रु

छठा भाव स्वास्थ्य, कर्ज, रोज़गार में संघर्ष, और गुप्त शत्रुओं का प्रतीक होता है। यह घर बताता है कि व्यक्ति अपने जीवन में कठिनाइयों से कैसे जूझता है।

सातवां घर – विवाह और साझेदारी

यह भाव जीवनसाथी, वैवाहिक जीवन, व्यापार में साझेदारी, और समाज में रिश्तों को दर्शाता है। यदि यह घर शुभ हो तो दांपत्य जीवन सुखद होता है।

आठवां घर – गूढ़ रहस्य और आयु

आठवां घर गोपनीयता, रहस्य, आकस्मिक लाभ-हानि, और जीवन की अवधि से जुड़ा होता है। यह घर अचानक जीवन में आने वाले मोड़ों का संकेत देता है।

नौवां घर – धर्म और भाग्य

नवम भाव को भाग्य भाव भी कहा जाता है। यह घर धार्मिक आस्था, गुरु, विदेश यात्रा, भाग्य, और उच्च शिक्षा का द्योतक होता है।

दसवां घर – कर्म और व्यवसाय

यह भाव बताता है कि व्यक्ति का पेशेवर जीवन, कर्म, प्रतिष्ठा और सामाजिक स्थिति कैसी होगी। यह घर व्यक्ति की उपलब्धियों और जीवन में किए गए कार्यों को दर्शाता है।

ग्यारहवां घर – लाभ और इच्छाएं

यह घर लाभ, आर्थिक उन्नति, मित्र मंडली, और लक्ष्यों की पूर्ति का प्रतीक होता है। इस घर की स्थिति जितनी शुभ होगी, व्यक्ति को उतना ही लाभ मिलेगा।

बारहवां घर – व्यय और मोक्ष

बारहवां भाव खर्च, विदेश यात्रा, नींद, अस्पताल, और मोक्ष से जुड़ा होता है। यह घर जीवन के अंतिम चरण, त्याग और परोपकार की भावना को दर्शाता है।

निष्कर्ष

जैसे एक इमारत की मजबूती उसकी नींव पर निर्भर करती है, वैसे ही जीवन की दिशा लग्न कुंडली के भावों से तय होती है। यदि आप भी जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली के कौन-से भाव मजबूत हैं और कौन-से सुधार की आवश्यकता रखते हैं, तो ज्योतिषाचार्य Lakshmi Narayan से परामर्श लें।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

lakshmi narayan

Lakshmi Narayan is a famous astrologer of Durg/Bhilai, he is the perfective of Shani Dev and solves the problems of the people with the power of his knowledge and sadhana. Astrology is a spiritual practice which is a science related to God and spirituality, astrology is incomplete without spiritual practice. Lakshmi Narayan solves the problems of astrology only based on 'Sadhana'.

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