बुध यंत्र के फायदे-Budh yantra

बुध यंत्र के फायदे

बुध यंत्र ग्रह

बुध ग्रह को ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है और इसे ग्रहों का राजकुमार माना जाता है। यह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है, साथ ही यह नक्षत्रों में अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती का भी अधिपति है। जब बुध शुभ ग्रहों के साथ होता है या शुभ ग्रहों की दृष्टि में होता है, तो इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके विपरीत, यदि यह अशुभ ग्रहों के साथ या अशुभ ग्रहों की दृष्टि में होता है, तो यह अशुभ परिणाम उत्पन्न कर सकता है। 

बुध ग्रह बुद्धि और वाणी का कारक है, और इसका प्रभाव गणित, व्यापार में सफलता, चर्म रोग और सुंदरता पर भी पड़ता है। यदि किसी की कुंडली में बुध की स्थिति अच्छी है, तो वह उपरोक्त गुणों से संपन्न होगा। वहीं, यदि बुध की स्थिति कमजोर है, तो इससे संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस प्रकार, बुध ग्रह का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

बुध यंत्र के फायदे


बुध ग्रह यंत्र के लाभों में आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा का विकास शामिल है। यह विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए अत्यंत लाभकारी है, क्योंकि यह उनके मानसिक तनाव को कम करने में सहायक होता है। इसके अतिरिक्त, यह यंत्र लेखन और वित्तीय कार्यों में संलग्न व्यक्तियों के लिए भी अत्यधिक उपयोगी सिद्ध होता है।

जिन व्यक्तियों को अस्थमा, श्वसन संबंधी समस्याएं, बदहजमी, कान के रोग, तुतलाने की समस्या, बोलने में रुकावट, कमजोर याददाश्त, या त्वचा रोगों से बचने की आवश्यकता है, उन्हें इस यंत्र का उपयोग अवश्य करना चाहिए। विशेष रूप से, गणित के अध्ययन में संलग्न विद्यार्थियों के लिए यह यंत्र अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह उनके अध्ययन में सहायता करता है।

बुध यंत्र का धारण करना उन व्यक्तियों के लिए लाभकारी है, जो मिथुन और कन्या राशि के अंतर्गत आते हैं, साथ ही मिथुन और कन्या लग्न वाले व्यक्तियों के लिए भी यह यंत्र उपयुक्त है। इसके अलावा, जिनकी बुध की महादशा चल रही है, उन्हें भी इस यंत्र का उपयोग करना चाहिए। यह यंत्र उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है, जिन्हें अपनी जन्म तिथि और समय की जानकारी नहीं है।


बुध यंत्र और तैयार करने की विधि


बुध यंत्र और इसके निर्माण की प्रक्रिया को एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया माना जाता है। इस यंत्र को विशेष रूप से भोजपत्र पर उपयुक्त स्याही से लिखकर, उसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। इसके बाद, बुध के तांत्रिक मंत्र का जाप किया जाता है, जिससे यह यंत्र बुध ग्रह को शक्तिशाली बनाता है और इसके दुष्प्रभावों से रक्षा करता है।

बुध यंत्र का निर्माण विशेष रूप से बुधवार के दिन बुध की होरा में किया जाता है। इस प्रक्रिया में चंदन, गौलोचन, केसर, और दूब के रस की स्याही का उपयोग किया जाता है, जिसे अनार की कलम से भोजपत्र पर लिखा जाता है। इसके बाद, प्राण प्रतिष्ठा के साथ यंत्र की विधिवत पूजा की जाती है, और अंत में तांत्रिक मंत्र का जाप कर हवन किया जाता है।


बुध यंत्र किसे धारण करना चाहिए


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बुध ग्रह का स्वामित्व देवी दुर्गा के पास है, जबकि कुछ अन्य मान्यताओं में भगवान विष्णु को भी बुध का स्वामी माना जाता है। यह विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोणों के आधार पर भिन्नता दर्शाता है, जो इस ग्रह के महत्व को और भी बढ़ाता है।

यदि किसी की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर स्थिति में है, तो यह व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। ऐसे में व्यक्ति को किसी कार्य में निर्णय लेने में अत्यधिक सोच-विचार करना पड़ता है। इसके अलावा, त्वचा संबंधी समस्याएं, लेखन में रुचि की कमी और गणित में कमजोर प्रदर्शन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे व्यापार में भी सफलता की कमी महसूस होती है।


बुध को बलवान बनाने के लिए कई उपाय उपलब्ध हैं, जिन्हें आप अपनी सुविधा के अनुसार अपना सकते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख उपायों में दुर्गा द्वात्रिशिन्न माला का पाठ करना शामिल है, जो विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। इसके अतिरिक्त, गणेश जी के द्वादश नामों का पाठ भी बुध की शक्ति को बढ़ाने में सहायक होता है। गणेश जी को हरी दूब चढ़ाने से भी बुध के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।

भगवान विष्णु की आराधना भी बुध को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि आप इन उपायों को करने में असमर्थ हैं, तो बुध यंत्र का धारण करना एक प्रभावी विकल्प हो सकता है, जिससे आप बुध के दुष्प्रभावों से सुरक्षित रह सकते हैं। इस प्रकार, विभिन्न उपायों के माध्यम से बुध की शक्ति को बढ़ाना संभव है।


 

lakshmi narayan

Lakshmi Narayan is a famous astrologer of Durg/Bhilai, he is the perfective of Shani Dev and solves the problems of the people with the power of his knowledge and sadhana. Astrology is a spiritual practice which is a science related to God and spirituality, astrology is incomplete without spiritual practice. Lakshmi Narayan solves the problems of astrology only based on 'Sadhana'.

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