धनु राशि यंत्र,धनु यंत्र-Dhanu Yantra


धनु राशि यंत्र


धनु राशि अग्नि तत्व से संबंधित है और इसके जातकों में न्याय और ज्ञान के गुण विद्यमान होते हैं। ऐसे व्यक्ति ईश्वर के प्रति श्रद्धालु होते हैं, उच्च शिक्षा की ओर अग्रसर रहते हैं, और कानून की गहरी समझ रखते हैं। इनके हृदय में ममता का विशाल सागर होता है। धनु राशि के लोग सत्य के प्रति समर्पित, स्पष्टवादी, आध्यात्मिक, धैर्यवान, आत्मविश्वास से भरे और कुछ क्षत्रिय गुणों से संपन्न होते हैं। ये लोग संशोधन की प्रवृत्ति रखते हैं और ईश्वर के दर्शन की आकांक्षा करते हैं, साथ ही समाज को ज्ञान प्रदान करने वाले, योग्य सलाहकार, गुरु, योग शिक्षक और वेद-शास्त्रों के ज्ञाता होते हैं।

इस राशि के जातकों को विशेष रूप से मोटापे के बढ़ने का खतरा रहता है। इन्हें शक्कर की अधिकता से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति सतर्क रहना चाहिए। इसके अलावा, बड़े फोड़े, सूजन, और हाथी रोग जैसी बीमारियों से भी इन्हें सावधान रहना आवश्यक है। इस प्रकार, धनु राशि के जातकों को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने की आवश्यकता होती है ताकि वे अपने गुणों और क्षमताओं का सही उपयोग कर सकें।


धनु राशि के जातकों की विशेषताएँ अत्यंत प्रशंसनीय होती हैं। ये व्यक्ति विद्या में निपुण, धार्मिक प्रवृत्ति के, और समाज में सम्मानित होते हैं। इनकी लोकप्रियता के कारण ये जनसामान्य के प्रिय बनते हैं और सभा में अपने विचारों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करते हैं। परिवार और समुदाय में इनका स्थान उच्च होता है, और ये अपने पवित्र मन के कारण काव्य और साहित्य में भी कुशल होते हैं। इनकी दानी प्रवृत्ति, साहस, और सच्ची मित्रता इन्हें विशेष बनाती है, साथ ही इनका विनम्र स्वभाव और दयालुता भी इन्हें समाज में एक आदर्श व्यक्तित्व के रूप में स्थापित करती है।

धनु राशि के जातक स्पष्टता से बोलने के लिए जाने जाते हैं और ये कठिनाइयों का सामना करने में सक्षम होते हैं। इनका स्वभाव शांत और तपस्वी होता है, और ये साधारण भोजन करने के बावजूद शारीरिक रूप से मजबूत होते हैं। इनकी बुद्धि निर्मल होती है और ये मधुर वाणी में संवाद करते हैं। मितव्ययिता और धन के प्रति सजगता इनके व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये अपने कार्यों में तत्पर रहते हैं और प्रेम के प्रति समर्पित होते हैं। बल प्रयोग से किसी को वश में नहीं कर सकते, लेकिन प्रेम के प्रभाव में आकर कुछ भी कर सकते हैं। ये विभिन्न कलाओं और व्यवसायों में दक्ष होते हैं, जो इन्हें एक बहुपरक व्यक्तित्व प्रदान करता है।

आइये जाने धनु राशि यंत्र धारण क्यों करें


धनु राशि यंत्र धारण करने के लाभों को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि आप मान-सम्मान की कमी, व्यापार में असफलता, या सामाजिक स्थिति में संकोच का अनुभव कर रहे हैं, तो यह यंत्र आपके लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है। इसके अलावा, यदि आप मानसिक अशांति, मोटापे, या पैरों में दर्द जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो यह यंत्र आपकी स्थिति को सुधारने में सहायक हो सकता है।

इसके अतिरिक्त, यदि आपके मित्रों और परिवार से प्रेम की कमी, अधिक व्यय, या बुद्धि के सही समय पर कार्य न करने की समस्या है, तो धनु राशि यंत्र धारण करने से आपको सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। यह यंत्र गैस की समस्या और उच्च शिक्षा में बाधाओं को भी दूर करने में मदद कर सकता है। इस प्रकार, यदि आप उपरोक्त में से किसी भी समस्या का सामना कर रहे हैं, तो धनु राशि यंत्र धारण करने पर विचार करना चाहिए।


धनु यंत्र किसे धारण करना चाहिए और निर्माण विधि


धनु यंत्र का धारण करना उन व्यक्तियों के लिए आवश्यक है जिनका जन्म धनु राशि में हुआ है। यदि आप धनु राशि के जातक हैं और उपरोक्त गुणों का अभाव अनुभव कर रहे हैं, तो यह संभव है कि आपको शुभ फल की प्राप्ति नहीं हो रही है। इस स्थिति में, यह आवश्यक है कि आप धनु राशि के लिए विशेष रूप से निर्मित यंत्र को धारण करें, ताकि आप सभी सुखों का अनुभव कर सकें।

इस यंत्र का निर्माण एक शुभ मुहूर्त में किया जाता है, जिसमें जातक के नाम, गोत्र, और स्थान का उच्चारण किया जाता है। यह प्रक्रिया शुभ घड़ी में संपन्न होती है। यंत्र के निर्माण में चंदन, गौलोचन, केसर, और हल्दी की स्याही का उपयोग किया जाता है, जिसे सोने की कलम से भोजपत्र पर अंकित किया जाता है। इसके बाद, यंत्र में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और धनु राशि कवच का विधिवत पूजन किया जाता है।

पूजन के पश्चात, तांत्रिक मंत्र का जाप किया जाता है, जिसके बाद हवन की प्रक्रिया संपन्न होती है। इस प्रकार, यह यंत्र न केवल एक साधारण वस्तु है, बल्कि यह एक शक्तिशाली साधना का प्रतीक है, जो धनु राशि के जातकों को उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक हो सकता है।

बृहस्पति यंत्र के फायदे और धारण विधि


जिन व्यक्तियों को लीवर से संबंधित समस्याएँ, जैसे पीलिया, सूजन, बड़े फोड़े, मस्से, गांठें या नशों का सिकुड़ना, और कानों से जुड़ी परेशानियाँ होती हैं, उन्हें विशेष रूप से इस यंत्र का उपयोग करना चाहिए। उपरोक्त सभी समस्याओं का समाधान इस एक यंत्र के माध्यम से संभव है।

गुरु यंत्र का धारण करना धनु और मीन राशि के जातकों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। इसके अलावा, धनु और मीन लग्न वाले व्यक्तियों तथा जिनकी गुरु की महादशा चल रही है, उन्हें भी इस यंत्र का उपयोग करना चाहिए, विशेषकर यदि वे उपरोक्त समस्याओं से ग्रसित हैं।

वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को नवग्रहों में सबसे शुभ ग्रह माना जाता है, जो विवाह, नौकरी, ज्ञान, परिवार और धन का प्रतिनिधित्व करता है। यदि जातक की कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर है, तो यह नौकरी, धन लाभ और स्त्रियों के लिए पति सुख में बाधा उत्पन्न कर सकता है। इसके विपरीत, यदि बृहस्पति ग्रह शुभ है, तो यह सभी प्रकार के सुखों का दाता होता है।

बृहस्पति यंत्र को धारण करने की प्रक्रिया विशेष रूप से गुरुवार के दिन गुरु की होरा में की जाती है। इस दिन चंदन, गौलोचन, केशर और हल्दी की स्याही का उपयोग करते हुए सोने की कलम से भोजपत्र पर यंत्र का निर्माण किया जाता है। इसके बाद, यंत्र में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है, जिससे इसकी शक्ति को जागृत किया जाता है।

यंत्र की विधिवत पूजा करने के उपरांत, गुरु के तांत्रिक मंत्र का जाप किया जाता है। इस जाप के बाद, यंत्र को धारण किया जाता है, जिससे व्यक्ति को बृहस्पति की कृपा प्राप्त होती है और उसके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।

lakshmi narayan

Lakshmi Narayan is a famous astrologer of Durg/Bhilai, he is the perfective of Shani Dev and solves the problems of the people with the power of his knowledge and sadhana. Astrology is a spiritual practice which is a science related to God and spirituality, astrology is incomplete without spiritual practice. Lakshmi Narayan solves the problems of astrology only based on 'Sadhana'.

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