Ashtam Bhav-अष्टम भाव का रहस्य

Ashtam Bhav-अष्टम भाव का रहस्य

Ashtam Bhav-अष्टम भाव का रहस्य

जन्मपत्रिका में अष्टम भाव को मृत्यु का भाव माना जाता है। यह भाव न केवल मृत्यु से संबंधित है, बल्कि इसे गूढ़ विद्या और आकस्मिक धन की प्राप्ति का भी प्रतीक माना जाता है। इसके अतिरिक्त, अष्टम भाव से आयु का निर्धारण, मृत्यु के कारण, कठिन स्थानों में निवास, संकट, पूर्व में अर्जित धन का नष्ट होना, किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का अधिग्रहण, पूर्वजों से मिली संपत्ति, मानसिक पीड़ा, मृत्यु के समय कष्ट, गुप्त और पारंपरिक विद्याओं में दक्षता, अचानक धन की प्राप्ति, लंबी यात्राएं, विदेश में नौकरी करना, खजाने की खोज, और कुएं आदि स्थानों में गिरने से मृत्यु जैसे विषयों पर भी विचार किया जाता है। jane Ashtam Bhav-अष्टम भाव का रहस्य

अष्टम भाव का अध्ययन करते समय यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि यह भाव जीवन के गूढ़ रहस्यों और आकस्मिक घटनाओं का संकेत देता है। यह न केवल मृत्यु के पहलुओं को उजागर करता है, बल्कि जीवन के विभिन्न संकटों और चुनौतियों का भी सामना करने की क्षमता को दर्शाता है। इस भाव के माध्यम से व्यक्ति की मानसिक स्थिति, पूर्वजों से मिली संपत्ति, और जीवन में आने वाली अप्रत्याशित घटनाओं का भी विश्लेषण किया जा सकता है, जो कि व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में सहायक होते हैं।

कुंडली के अष्टम भाव से क्या-क्या देखा जाता है?

कुंडली के अष्टम भाव का अध्ययन करते समय यह समझना आवश्यक है कि यह आकस्मिक लाभ से संबंधित होता है। अष्टम भाव, जिसे अष्टमेश भी कहा जाता है, व्यक्ति के जीवन में अचानक धन की प्राप्ति के संकेत देता है। हालांकि, स्वास्थ्य के संदर्भ में यह भाव उतना शुभ नहीं माना जाता है, लेकिन आर्थिक दृष्टि से इसके प्रभाव सकारात्मक होते हैं।

इस भाव के माध्यम से व्यक्ति को अप्रत्याशित धन की प्राप्ति का अवसर मिलता है। इसके अलावा, अष्टम भाव पूर्वजों से धन प्राप्ति के योग भी बनाता है, जिससे व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है। यह भाव व्यक्ति के जीवन में अचानक बदलाव लाने की क्षमता रखता है, जो कि कई बार लाभकारी सिद्ध होता है।

इस प्रकार, अष्टम भाव का महत्व केवल आकस्मिक लाभ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के आर्थिक भविष्य को भी प्रभावित करता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को न केवल धन की प्राप्ति होती है, बल्कि यह उसके जीवन में नई संभावनाओं के द्वार भी खोलता है। इस भाव का सही विश्लेषण करने से व्यक्ति अपने आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल हो सकता है।

 कुंडली के अष्टम भाव

ज्योतिष शास्त्र में अष्टम भाव को अक्सर अशुभ माना जाता है। जब किसी ग्रह का अष्टम भाव से संबंध होता है, तो उसे अयोग्य समझा जाता है, लेकिन यह धारणा पूरी तरह से सही नहीं है। कई सफल व्यक्तियों की जन्मपत्रियों में अष्टमेश का संबंध पंचम या लग्न पंचम से पाया गया है। ऐसे व्यक्तियों में कोई विशेष कला होती है, जो उन्हें ईश्वर की ओर से उपहार के रूप में प्राप्त होती है।

जब पंचमेश और अष्टमेश का आपस में संबंध होता है, तो आकस्मिक धन प्राप्ति के अवसर उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार के योग वाले व्यक्ति शेयर बाजार, सट्टेबाजी या लॉटरी के माध्यम से धन अर्जित कर सकते हैं। इस प्रकार, अष्टम भाव को केवल अशुभ मानना उचित नहीं है, क्योंकि यह कई बार सकारात्मक परिणाम भी दे सकता है। 

निष्कर्ष

अष्टम भाव का संबंध पितृदोष के विचार से भी है। इस भाव के माध्यम से व्यक्ति के पूर्वजन्म के कर्मों और उसकी आयु का विश्लेषण किया जाता है। आमतौर पर ज्योतिषीय फलादेश में इस भाव के महत्व को कमतर आंका जाता है, लेकिन जब व्यक्ति किसी गंभीर संकट का सामना करता है, तब अष्टम भाव की ओर ध्यान आकर्षित होता है। इस भाव का व्यक्ति की प्रगति में अत्यधिक महत्व है।

यह भाव अत्यंत अद्भुत है, जो विभिन्न प्रकार के परिणामों को अपने भीतर समेटे हुए है। जन्मकुंडली में सभी भावों और उनके स्वामियों के बीच के संबंध से ही किसी व्यक्ति के जीवन में घटित होने वाली घटनाओं का निर्माण होता है। इसलिए, फलादेश में अष्टम भाव के महत्व को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

  1. Read Also: Your Lucky Gemstone
  2. Read Also: Astrology & Gemstone
  3. जानें: ज्योतिष आपके जीवन में बदलाव कर सकता है
  4. यह भी जानें: चेहरे की सुंदरता आपका कॉफिडेंस है
  5. जानें: कैसे मोती रत्न आपका व्यापार और मनोबल बढ़ाता है
  6. जानें: दुर्ग भिलाई ज्योतिष लक्ष्मी नारायण के बारे में 
  7. जानें: कैसे लाल मूंगा आपको उनत्ति और तरक्की दे सकता है  
  8. Read About: Durg Bhilai Astrologer

 


lakshmi narayan

Lakshmi Narayan is a famous astrologer of Durg/Bhilai, he is the perfective of Shani Dev and solves the problems of the people with the power of his knowledge and sadhana. Astrology is a spiritual practice which is a science related to God and spirituality, astrology is incomplete without spiritual practice. Lakshmi Narayan solves the problems of astrology only based on 'Sadhana'.

Post a Comment

Previous Post Next Post