साढ़ेसाती के लक्षण और उपाय

 

साढ़ेसाती के लक्षण और उपाय

शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभावों का अध्ययन करना आवश्यक है। साढ़ेसाती कब कष्टदायी होती है, यह जानना महत्वपूर्ण है, साथ ही यह भी कि क्या यह राजयोग का निर्माण कर सकती है। शनि की स्थिति और उसकी दशा का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार के अनुभव उत्पन्न कर सकता है। आइये जानें साढ़ेसाती के लक्षण और उपाय

साढ़ेसाती के लक्षण और उपाय

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, कलियुग में शनि का प्रभाव अत्यधिक महत्वपूर्ण है। शनि ग्रह स्थिरता का प्रतीक माना जाता है और यह कार्यकुशलता, गंभीरता, ध्यान और विमर्श को प्रभावित करता है। शनि की प्रवृत्तियाँ शांत, सहनशील, स्थिर और दृढ़ होती हैं, जबकि उल्लास और आनंद इसके स्वभाव में नहीं होते हैं।

शनि की मेष राशि नीच राशि है और यह शनि की परम शत्रु राशि भी है। तुला राशि मित्र राशि के रूप में जानी जाती है और इसे उच्च राशि भी माना जाता है। शनि ग्रह को वात रोग, मृत्यु, चोरी, डकैती, मुकदमे, फांसी, जेल, तस्करी, जुए, जासूसी, शत्रुता, लाभ-हानि, दिवालिया, राजदंड, त्याग पत्र, राज्य भंग, राज्य लाभ और व्यापार-व्यवसाय का कारक माना जाता है।

शनि की दृष्टि का प्रभाव महत्वपूर्ण होता है। जब शनि किसी राशि में होता है, तो वह तृतीय, सप्तम और दशम राशि पर अपनी पूर्ण दृष्टि रखता है। यह माना जाता है कि शनि जहां स्थित होता है, वहां वह हानि नहीं करता, लेकिन उसकी दृष्टि जहां पड़ती है, वहां नुकसान होता है। हालांकि, यह भी ध्यान में रखना आवश्यक है कि शनि की स्थिति या दृष्टि का घर उसके मित्र ग्रह का है या शत्रु ग्रह का।

इस प्रकार, शनि का प्रभाव विभिन्न राशियों पर अलग-अलग होता है। उसकी दृष्टि से प्रभावित स्थानों पर हानि की संभावना बढ़ जाती है, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि शनि की स्थिति का विश्लेषण किया जाए। इस प्रकार, ज्योतिष में शनि की भूमिका को समझना और उसकी दृष्टि के प्रभाव को जानना आवश्यक है।

शनि की साढ़ेसाती की स्तिथि

शनि की साढ़ेसाती तब प्रारंभ होती है जब शनि गोचर में जन्म राशि के 12वें घर में प्रवेश करता है, और यह तब तक जारी रहती है जब वह जन्म राशि के द्वितीय भाव में पहुंचता है। वास्तव में, शनि की साढ़ेसाती तब होती है जब वह जन्म राशि से 45 अंश पहले से लेकर 45 अंश बाद तक भ्रमण करता है।

इसी प्रकार, जब शनि चंद्र राशि के चतुर्थ या अष्टम भाव में प्रवेश करता है, तब ढैया की अवधि शुरू होती है। सूक्ष्म नियमों के अनुसार, जन्म राशि से चतुर्थ भाव के आरंभ से लेकर पंचम भाव की संधि तक और अष्टम भाव के आरंभ से नवम भाव की संधि तक शनि की ढैया का प्रभाव होना चाहिए।

साढ़ेसाती और ढैया का प्रभाव हमेशा राशि के संदर्भ में देखा जाता है, अर्थात् जिस राशि में जन्म कुंडली में चंद्रमा स्थित होता है, उसी से इनका आकलन किया जाता है। यह ज्योतिषीय अवधारणाएं व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने की क्षमता रखती हैं।

शनि की साढ़ेसाती को लेकर भ्रम

शनि की साढ़े साती के आरंभ को लेकर विभिन्न विचारधाराएं प्रचलित हैं, और इसके प्रभाव के संदर्भ में भी हमारे मन में अनेक भ्रांतियाँ और काल्पनिक धारणाएँ मौजूद रहती हैं। समाज में इस विषय पर कई प्रकार के भ्रम फैले हुए हैं। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि शनि किसी भी प्राणी को बिना कारण दंडित नहीं करता।

लोग अक्सर इस धारणा के कारण चिंतित हो जाते हैं कि जब शनि की साढ़े साती शुरू होती है, तो उनके जीवन में कठिनाइयों और समस्याओं का आगमन होगा। जो लोग इस प्रकार की सोच रखते हैं, वे अनावश्यक रूप से भयभीत होते हैं। वास्तव में, विभिन्न राशियों के व्यक्तियों पर शनि का प्रभाव भिन्न-भिन्न होता है, और यह समझना महत्वपूर्ण है कि हर व्यक्ति की स्थिति अलग होती है।

साढ़ेसाती के लक्षण

जब शनिदेव की स्थिति आपके जीवन में नकारात्मक होती है, तो कुछ विशेष लक्षण प्रकट होते हैं। इन लक्षणों को समझना और पहचानना महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये संकेत आपके जीवन में शनिदेव के प्रभाव को दर्शाते हैं। हालांकि, आपकी कुंडली में शनिदेव की स्थिति का सही आकलन केवल एक योग्य ज्योतिषी ही कर सकता है। इसके अतिरिक्त, कुछ घटनाएं और परिस्थितियाँ भी आपके जीवन में घटित होती हैं, जो यह संकेत देती हैं कि शनिदेव का प्रभाव आपके ऊपर किस प्रकार है।

आइये उन संकेतों के बारे में जानकारी प्राप्त करें, जो यह दर्शाते हैं कि शनिदेव आपसे नाराज हैं। इन संकेतों को पहचानकर आप अपने जीवन में सुधार लाने के उपाय कर सकते हैं। शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि आप इन लक्षणों को समझें और उचित कदम उठाएं, ताकि आप अपने जीवन में संतुलन और शांति स्थापित कर सकें।


1. यदि आपके घर में सफाई करने के बावजूद मकड़ियाँ बनी रहती हैं और उन्होंने अपना जाल बना लिया है, तो यह संकेत है कि शनिदेव किसी कारणवश आपसे क्रोधित हैं। इस स्थिति में, आपको शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उचित उपाय करने चाहिए, ताकि आपके घर का वातावरण सकारात्मक बना रहे।

2. यदि न्याय के देवता शनिदेव आपसे नाराज हैं, तो आपके घर की बाहरी दीवार पर अपने आप पीपल का वृक्ष उगने लगता है। चाहे आप कितनी बार इसे उखाड़ने का प्रयास करें, यह फिर से उगने की प्रवृत्ति दिखाता है। यह एक संकेत है कि आपको शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए कुछ उपाय करने की आवश्यकता है।

3. जब शनिदेव किसी व्यक्ति से नाराज होते हैं, तो उसके घर में चिंटियों का आना शुरू हो जाता है। ये चिंटियाँ अक्सर मीठे खाद्य पदार्थों की ओर आकर्षित होती हैं, लेकिन इस मामले में वे नमकीन खाद्य पदार्थों को भी नजरअंदाज नहीं करतीं। यदि घर की सफाई के बाद भी चिंटियाँ बनी रहती हैं, तो यह एक चेतावनी है कि आपको शनिदेव को प्रसन्न करने के प्रयास करने चाहिए।

4. काली बिल्लियाँ भी घर में शनिदेव के नकारात्मक प्रभावों का प्रतीक मानी जाती हैं। यदि काली बिल्लियाँ आपके घर में निवास करती हैं और लगातार बच्चे देती हैं, तो यह एक अशुभ संकेत हो सकता है। इसके अलावा, यदि आपके घर में दो बिल्लियाँ हमेशा लड़ती रहती हैं, तो यह घर में तनाव और क्लेश का कारण बन सकता है। इस प्रकार की स्थिति घर के वातावरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।

5. पैतृक संपत्ति के मामलों में व्यक्ति को कई बार कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, विशेषकर जब शनिदेव की नाराजगी का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में, व्यक्ति का अधिकांश समय संपत्ति के विवादों में व्यतीत होता है, फिर भी सफलता की प्राप्ति नहीं होती। रिश्तेदारों के साथ संपत्ति को लेकर विवाद उत्पन्न हो सकते हैं। यदि आपके घर की दीवारें बार-बार गिरती हैं और मरम्मत के बावजूद स्थिर नहीं होतीं, तो यह भी शनिदेव के क्रोध का संकेत हो सकता है, जिसके कारण कभी-कभी घर को फिर से बनवाने की आवश्यकता भी पड़ सकती है।

इस प्रकार, शनिदेव के प्रभावों को समझना और उनके संकेतों को पहचानना महत्वपूर्ण है। पैतृक संपत्ति के विवाद और काली बिल्लियों की उपस्थिति दोनों ही व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयों का संकेत हो सकते हैं। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए उचित उपायों की आवश्यकता होती है, ताकि व्यक्ति अपने जीवन में शांति और समृद्धि प्राप्त कर सके।

जीवन में साढ़ेसाती चलने के अन्य लक्षण

1. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के दौरान कुछ विशेष लक्षण प्रकट होते हैं, जिनसे व्यक्ति यह जान सकता है कि शनि उसके लिए शुभ हैं या प्रतिकूल। उदाहरण के लिए, यदि घर या दीवार का कोई हिस्सा अचानक गिरता है, या घर के निर्माण या मरम्मत में अत्यधिक धन खर्च होता है, तो यह संकेत हो सकता है कि शनि की स्थिति ठीक नहीं है।

2. इसके अतिरिक्त, यदि घर के अधिकांश सदस्य लगातार बीमार रहते हैं या अचानक आग लगने की घटनाएं होती हैं, तो यह भी एक चेतावनी का संकेत है। व्यक्ति को बार-बार अपमान का सामना करना पड़ता है और घर की महिलाएं अक्सर स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त रहती हैं। एक समस्या से निकलने के बाद दूसरी समस्या का सामना करना पड़ता है, जो शनि की प्रतिकूलता का संकेत हो सकता है।

3. व्यापार में असफलता और नुकसान भी शनि की प्रतिकूलता का एक लक्षण है। घर में मांसाहार और मादक पदार्थों की बढ़ती प्रवृत्ति, साथ ही घर में कलह का होना, यह सभी संकेत करते हैं कि शनि की स्थिति ठीक नहीं है। इसके अलावा, अकारण कलंक या इल्ज़ाम लगना, आंखों और कानों में तकलीफ होना, और घर से चप्पल या जूते का गायब होना भी इस स्थिति के संकेत हैं।

4. नौकरी और व्यवसाय में समस्याएँ उत्पन्न होने लगती हैं। कड़ी मेहनत करने के बावजूद व्यक्ति को पदोन्नति नहीं मिलती है। इस स्थिति में अधिकारियों के साथ संबंध बिगड़ने लगते हैं, जिसके परिणामस्वरूप नौकरी खोने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, व्यक्ति को अनचाही स्थान पर स्थानांतरण का सामना करना पड़ता है, जिससे उसे अपने से नीचे के पद पर कार्य करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इस प्रकार की परिस्थितियों के चलते आर्थिक संकट भी गहरा हो जाता है, और व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ता है।

5. आजीविका में आ रही समस्याओं के कारण व्यक्ति मानसिक तनाव का सामना करता है। यह तनाव व्यक्ति के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके साथ ही, व्यक्ति को भूमि और संपत्ति से संबंधित विवादों का सामना करना पड़ता है। परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों के बीच पैतृक संपत्ति को लेकर मतभेद और मनमुटाव बढ़ने लगते हैं। इस प्रकार की स्थिति में शनि महाराज भाई-भाई के बीच की दूरियों को भी बढ़ा देते हैं, जिससे पारिवारिक संबंधों में और भी तनाव उत्पन्न होता है।

6. जब शनि का प्रकोप किसी व्यक्ति पर होता है, तो वह कई प्रकार के संकेत देता है। इनमें से एक संकेत यह होता है कि व्यक्ति अचानक झूठ बोलने लगता है। यह संकेत व्यक्ति के जीवन में आने वाली कठिनाइयों का पूर्वाभास करता है और यह दर्शाता है कि उसे अपने कार्यों और संबंधों में सावधानी बरतने की आवश्यकता है। इस प्रकार के संकेतों को समझना और उनका सही तरीके से सामना करना आवश्यक होता है, ताकि व्यक्ति अपने जीवन में सुधार कर सके।

साढ़ेसाती के उपाय

1. उपाय यह है कि शनिदेव भगवान शंकर के अनन्य भक्त हैं। जिन पर भगवान शंकर की कृपा होती है, उन्हें शनि देव हानि नहीं पहुंचाते। इसलिए, नियमित रूप से शिवलिंग की पूजा और आराधना करना अत्यंत आवश्यक है। पीपल वृक्ष को सभी देवताओं का निवास माना गया है, और इस कारण पीपल को जल अर्पित करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
अनुराधा नक्षत्र में जब अमावस्या और शनिवार का संयोग होता है, उस दिन तेल और तिल के साथ विधिपूर्वक पीपल वृक्ष की पूजा करने से शनि के कोप से मुक्ति मिलती है। शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए शनि स्तोत्र का नियमित पाठ करना भी आवश्यक है, जिससे उनकी प्रसन्नता प्राप्त की जा सके।

2. शनि के प्रभाव से बचने के लिए आप हनुमान जी की पूजा कर सकते हैं, क्योंकि शास्त्रों में उन्हें रूद्रावतार माना गया है। साढ़े साती से मुक्ति पाने के लिए शनिवार के दिन बंदरों को केला और चना खिलाना भी एक प्रभावी उपाय है। इसके अतिरिक्त, नाव के तले में लगी कील और काले घोड़े का नाल भी शनि के नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं, यदि आप इन्हें अंगूठी के रूप में धारण करते हैं।
लोहे के बर्तन, काला कपड़ा, सरसों का तेल, चमड़े के जूते, काला सुरमा, काले चने, काले तिल और उड़द की साबूत दाल ये सभी शनि ग्रह से संबंधित वस्तुएं हैं। शनिवार के दिन इन वस्तुओं का दान करने और काले वस्त्रों का उपयोग करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे उनके कुप्रभावों से बचा जा सकता है।

3. शनिवार के दिन शनि देव की पूजा के लिए व्रत रखना एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है। इस दिन नारियल या बादाम को सिर से 11 बार उत्तर की ओर घुमाकर जल में प्रवाहित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, नियमित रूप से 108 बार शनि के तात्रिक मंत्र का जाप करने से भी लाभ होता है, क्योंकि स्वयं शनि देव इस स्तोत्र की महिमा को बढ़ाते हैं। महामृत्युंजय मंत्र का जाप काल के प्रभाव को समाप्त करने में सहायक होता है, और यदि आप शनि की प्रतिकूल दशा से बचना चाहते हैं, तो किसी योग्य पंडित से इस मंत्र द्वारा शिव का अभिषेक कराना उचित रहेगा, जिससे आप शनि के बंधनों से मुक्त हो सकते हैं।

4. शनिवार की शाम को जूते का दान करना भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक कार्य है, जो शनि देव की कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है। इस प्रकार के दान से व्यक्ति को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है। शनि देव की कृपा से जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सकता है, और इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व होता है। इस प्रकार, शनिवार का दिन शनि देव की आराधना और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करने का एक उत्तम अवसर है।

शुभ साढ़े साती

शनि की ढईया और साढ़े साती का नाम सुनते ही कई लोगों के मन में भय और चिंता की लहर दौड़ जाती है। यह स्थिति विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए होती है जो अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना कर चुके हैं। कुछ ज्योतिषी इस भय का फायदा उठाते हैं और लोगों को अनावश्यक रूप से डराते हैं। हालांकि, विद्वान ज्योतिषियों का मानना है कि शनि का प्रभाव हर व्यक्ति के लिए नकारात्मक नहीं होता। कई बार, शनि की दशा के दौरान व्यक्ति को अपेक्षा से अधिक सम्मान, धन और वैभव की प्राप्ति होती है।

कई लोग इस दौरान कठिनाइयों का सामना करते हैं, लेकिन यह ध्यान रखना आवश्यक है कि शनि केवल कष्ट ही नहीं देते, बल्कि वे शुभता और लाभ भी प्रदान कर सकते हैं। यदि हम इस विषय की गहराई में जाएं, तो यह स्पष्ट होता है कि शनि का प्रभाव व्यक्ति की राशि, कुंडली और उनके कर्मों पर निर्भर करता है। इसलिए, शनि के प्रभाव को लेकर भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है।

यह समझना महत्वपूर्ण है कि शनि का प्रभाव हर व्यक्ति के लिए भिन्न हो सकता है। कुछ लोगों के लिए यह कष्टकारी हो सकता है, जबकि दूसरों के लिए यह सुखदायी साबित हो सकता है। इस प्रकार, शनि की स्थिति को समझने और उसके अनुसार अपने जीवन को दिशा देने की आवश्यकता है।

शनि की स्थिति का मूल्यांकन करना अत्यंत आवश्यक है। यदि आपका लग्न वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर या कुम्भ है, तो शनि आपके लिए हानिकारक नहीं होते, बल्कि वे आपको लाभ और सहयोग प्रदान करते हैं। इन लग्नों के अलावा अन्य लग्नों में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को शनि के नकारात्मक प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है।

ज्योतिषी यह बताते हैं कि साढ़े साती के वास्तविक प्रभाव को समझने के लिए चन्द्र राशि के अनुसार शनि की स्थिति का ज्ञान होना आवश्यक है, साथ ही लग्न कुंडली में चन्द्र की स्थिति का भी मूल्यांकन करना चाहिए। यह जानकारी साढ़े साती के प्रभाव को सही तरीके से समझने में सहायक होती है।

साढ़े साती के प्रभाव का आकलन करने के लिए कुंडली में लग्न और लग्नेश की स्थिति के साथ-साथ शनि और चन्द्र की स्थिति पर भी ध्यान दिया जाता है। यह सभी तत्व मिलकर व्यक्ति के जीवन पर शनि के प्रभाव को स्पष्ट करते हैं।


lakshmi narayan

Lakshmi Narayan is a famous astrologer of Durg/Bhilai, he is the perfective of Shani Dev and solves the problems of the people with the power of his knowledge and sadhana. Astrology is a spiritual practice which is a science related to God and spirituality, astrology is incomplete without spiritual practice. Lakshmi Narayan solves the problems of astrology only based on 'Sadhana'.

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