नवग्रह क्या है और इनके मानव जीवन पर क्या प्रभाव है

नवग्रह क्या है और इनके मानव जीवन पर क्या प्रभाव है

नवग्रह क्या है और इनके मानव जीवन पर क्या प्रभाव है

ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के 12 खानों में इन 9 ग्रहों की स्थिति के आधार पर उसके भविष्य की घटनाओं का अनुमान लगाया जाता है। यह मान्यता है कि जब कोई व्यक्ति पृथ्वी पर जन्म लेता है, तो उसका इन ग्रहों से एक गहरा संबंध बन जाता है, और यह संबंध उसके जीवन भर बना रहता है। नवग्रहों का विभिन्न राशियों पर विभिन्न समयों में भिन्न-भिन्न प्रभाव पड़ता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सुख-दुख का अनुभव होता है।

नवग्रहों का मानव जीवन पर प्रभाव व्यापक होता है, और यह जानना आवश्यक है कि ये ग्रह किस प्रकार से व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करते हैं। इसके साथ ही, इन ग्रहों के प्रभाव को संतुलित करने के लिए विभिन्न उपाय भी किए जा सकते हैं। इस संदर्भ में, यह महत्वपूर्ण है कि हम नवग्रहों के प्रभाव को समझें और उनके अनुसार अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रयास करें।

सूर्य

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को ग्रहों का सर्वोच्च स्थान दिया गया है, और यह व्यक्ति के पिता के संबंधो से जुड़ा हुआ है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य का प्रभाव सकारात्मक होता है, तो वह समाज में उच्च मान-सम्मान अर्जित करता है। इसके विपरीत, यदि सूर्य का प्रभाव नकारात्मक होता है, तो उस व्यक्ति को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिससे उसकी जीवन यात्रा कठिन हो जाती है।

सूर्य की सकारात्मकता को प्राप्त करने के लिए, यह आवश्यक है कि व्यक्ति किसी अनुभवी ज्योतिषी से मार्गदर्शन प्राप्त करे और माणिक्य रत्न का धारण करें। यह रत्न सूर्य की ऊर्जा को संतुलित करने में सहायक होता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इस प्रकार, सूर्य का सही प्रभाव व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

चंद्रमा

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत है, तो वह व्यक्ति स्वभाव से अत्यंत विनम्र और शांत होता है। लेकिन जब उसे क्रोध आता है, तो वह अत्यधिक तीव्रता से प्रकट होता है।
चंद्र ग्रह की सकारात्मक ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए, व्यक्ति को शुक्ल पक्ष के सोमवार को मोती को चांदी की अंगुली में जड़वाकर अपनी कनिष्ठिका अंगुली में पहनना चाहिए। यह उपाय चंद्रमा की शुभता को बढ़ाने में सहायक होता है।

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मंगल

ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को ग्रहों का प्रमुख सेनापति माना जाता है। यह विश्वास किया जाता है कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल की स्थिति मजबूत है, तो वह व्यक्ति साहस और पराक्रम से भरा होता है। इसके विपरीत, जब मंगल कमजोर होता है, तो व्यक्ति में चुनौतियों का सामना करने की क्षमता में कमी आ जाती है।

मंगल दोष को समाप्त करने के लिए यह सलाह दी जाती है कि मंगलवार के दिन मूंगा रत्न धारण किया जाए। यह उपाय व्यक्ति की कुंडली में मंगल की स्थिति को सुधारने में सहायक हो सकता है और उसके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है।

बुध

ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को बुद्धि, विवेक और मधुरता का प्रतीक माना जाता है। चंद्रमा के पुत्र बुध की कृपा से लाभान्वित होने वाला व्यक्ति अत्यंत बुद्धिमान और चतुर होता है। ऐसे जातक कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान सरलता से कर लेते हैं। इसके विपरीत, यदि किसी व्यक्ति पर बुध का नकारात्मक प्रभाव होता है, तो उसमें बुद्धि की कमी और वाणी में दोष देखने को मिल सकता है।

बुध की सकारात्मक ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए पन्ना रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। यह रत्न बुध ग्रह की शुभता को बढ़ाने में सहायक होता है और जातक के मानसिक कौशल को विकसित करने में मदद करता है। इस प्रकार, बुध ग्रह का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे उसकी बुद्धिमत्ता और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है।

बृहस्पति

बृहस्पति, जिसे गुरु के नाम से भी जाना जाता है, देवताओं का मार्गदर्शक माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में यह ग्रह शुभ फल देता है, तो वह व्यक्ति धर्म और न्याय के प्रति समर्पित होता है। ऐसे व्यक्ति को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। इसके विपरीत, जब बृहस्पति कमजोर होता है, तो व्यक्ति के भाग्य में गिरावट आ सकती है।

गुरु ग्रह की अशुभता को दूर करने के लिए, व्यक्ति को पुखराज रत्न पहनने की सलाह दी जाती है। यह रत्न व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाने में सहायक होता है। इस प्रकार, बृहस्पति का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और इसके सही उपयोग से व्यक्ति अपने जीवन में संतुलन और सुख प्राप्त कर सकता है।

शुक्र

ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को भौतिक इच्छाओं, सौंदर्य और भौतिक सुखों का प्रदाता माना जाता है। यह विश्वास किया जाता है कि जो व्यक्ति शुक्र की सकारात्मक ऊर्जा को प्राप्त करता है, वह जीवन के सभी सुखों का अनुभव करता है। इसके विपरीत, यदि शुक्र ग्रह अशुभ स्थिति में होता है, तो यह व्यक्ति के सुखों में कमी का कारण बन सकता है।

इसलिए, शुक्र ग्रह की शुभता को प्राप्त करने के लिए, व्यक्ति को हीरा या जरकन जैसे रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। इन रत्नों के माध्यम से व्यक्ति अपनी जीवन में सुख और समृद्धि को आकर्षित कर सकता है, जिससे उसकी भौतिक इच्छाएं पूरी हो सकें।

शनि

शनि, जिसका नाम सुनते ही लोगों में एक विशेष प्रकार की उत्तेजना उत्पन्न होती है, को ज्योतिष में कर्म और न्याय का देवता माना जाता है। यह मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि शुभ फल दे रहा हो, तो उसे औद्योगिक क्षेत्रों, जैसे लोहा और कल-कारखानों में, उल्लेखनीय सफलता प्राप्त होती है।

दूसरी ओर, यदि कुंडली में शनि के कारण व्यक्ति को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, तो इस स्थिति को सुधारने के लिए शनि पूजा और ज्योतिषी की सलाह से नीलम रत्न धारण करने की सिफारिश की जाती है। इस प्रकार, शनि का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

राहु और केतु

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु को नकारात्मक कर्मों और दुर्भाग्य का प्रतीक माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु शुभ फल प्रदान करता है, तो वह राजनीति में उल्लेखनीय सफलता हासिल कर सकता है। इसके विपरीत, यदि राहु अशुभ होता है, तो यह व्यक्ति के जीवन में अनेक समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। राहु के दुष्प्रभावों से बचने के लिए गोमेद रत्न का धारण करना लाभकारी माना जाता है।

वहीं, केतु को ज्योतिष में दुर्घटनाओं, शोक, दुःख और रोगों का कारक माना जाता है। केतु के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए लहसुनिया रत्न का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। यह रत्न व्यक्ति को केतु के दुष्प्रभावों से सुरक्षित रखने में सहायक होता है।

इस प्रकार, राहु और केतु दोनों ही ज्योतिष में महत्वपूर्ण ग्रह हैं, जिनका प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर गहरा पड़ता है। इन ग्रहों के शुभ और अशुभ प्रभावों को समझकर और उचित रत्नों का चयन करके व्यक्ति अपने जीवन में संतुलन और सफलता प्राप्त कर सकता है।

lakshmi narayan

Lakshmi Narayan is a famous astrologer of Durg/Bhilai, he is the perfective of Shani Dev and solves the problems of the people with the power of his knowledge and sadhana. Astrology is a spiritual practice which is a science related to God and spirituality, astrology is incomplete without spiritual practice. Lakshmi Narayan solves the problems of astrology only based on 'Sadhana'.

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