मेष लग्न कुंडली विश्लेषण सम्पूर्ण जानकारी

मेष लग्न कुंडली विश्लेषण सम्पूर्ण जानकारी

मेष लग्न कुंडली विश्लेषण सम्पूर्ण जानकारी

मेष लग्न कुंडली विश्लेषण सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। मेष राशि राशि चक्र की पहली राशि है, जिसका प्रतीक मेढ़ा है। मेढ़ा जितना अनुशासनप्रिय और स्थिर होता है, उसका नर उतना ही उग्र और स्वतंत्रता प्रेमी होता है। यह विशेषता मेष लग्न के जातकों में भी देखी जा सकती है, जो उन्हें एक अद्वितीय पहचान देती है। 

मेष लग्न का स्वामी ग्रह मंगल है और काल पुरुष के शरीर में मेष लग्न का स्थान सिर, मस्तक और मुख के रूप में है। यह lagn अग्नि तत्व, चर संज्ञक, पुरुष जाति, क्षत्रिय और लाल वर्ण की होती है। इसके अलावा, यह हृस्व पृष्ठोदयि, युवा रजोगुणी, रात्रिबलि, उग्र प्रकृति, पित्तकारक है। सूर्य इस मेष राशि के 10 अंश तक उच्चस्थ होता है, जबकि शनि 20 अंश पर नीच होता है। 

मेष लग्न की प्रमुख विशेषताएँ यह हैं कि इसके जातक साहसी, उत्साही, और निडर होते हैं। अग्नि तत्व की लग्न होने के कारण, ये लोग शीघ्र उत्तेजित हो जाते हैं और स्पष्टवादी होते हैं। इसके अलावा, मेष लग्न के जातक उच्चाभिलाषी होते हैं और नेतृत्व करने में कुशलता रखते हैं, जो उन्हें समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करता है।

 मेष लग्न की प्रमुख और सामान्य विशेषताएं

मेष लग्न की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं कि इनका कद सामान्यतः मध्यम होता है, जबकि उनका शरीर एकदम सुगठित और मजबूत होता है। इनका चेहरा चतुष्कोणीय होता है, गर्दन थोड़ी लंबी होती है और त्वचा का रंग लालिमा लिए हुए रक्तिम या कभी-कभी गेहुआ होता है। सिर और मस्तक का आकार ऊपर से चौड़ा होता है, जबकि आँखें गोल और रक्त वर्ण की होती हैं, परंतु इनकी दृष्टि अत्यंत तेज होती है। मेष लग्न की महिलाओं के दांत सुंदर, बाल घने और काले होते हैं, जो अक्सर लंबे भी होते हैं।

मेष लग्न के जातकों की सामान्य विशेषताएँ यह दर्शाती हैं कि वे स्वतंत्र विचारों वाले, साहसी और स्वाभिमानी होते हैं। ये उद्यमी और चंचल होते हुए भी प्रखर बुद्धि और तीव्र स्मरण शक्ति के धनी होते हैं। इनकी उच्चाभिलाषा और मिलनसार स्वभाव उन्हें नए मित्र बनाने में सक्षम बनाता है। मेष लग्न के जातक दृढ़ निश्चयी और स्फूर्तिवान होते हैं, जो आत्मविश्वास के साथ स्वतंत्र निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।

इस लग्न के जातकों में नेतृत्व की भावना प्रबल होती है, जिससे वे जीवन में नई योजनाएँ बनाने में सक्षम होते हैं। ये हमेशा संघर्ष करने के लिए तत्पर रहते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं। मेष लग्न के जातक अपने विचारों और कार्यों में स्पष्टता रखते हैं, जो उन्हें जीवन में सफलता की ओर अग्रसर करता है।

मेष लग्न के जातको की शिक्षा व्यवसाय-कैरियर,आर्थिक स्तिथि

मेष लग्न के जातकों की शिक्षा, व्यवसाय और आर्थिक स्थिति पर विचार करते समय यह स्पष्ट होता है कि ये जातक प्रायः क्रियात्मक और व्यावहारिक होते हैं। इस कारण, वे उन व्यवसायों में अधिक सफल होते हैं जिनमें उद्यमिता और शारीरिक श्रम की आवश्यकता होती है। ऐसे जातक खेल-कूद, दंत चिकित्सा, रसायन विज्ञान, सेना, पुलिस, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक कार्य, आभूषण निर्माण, बेकरी, मिठाई आदि क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। यदि मंगल और गुरु जैसे ग्रहों का शुभ संबंध हो, तो ये चिकित्सा, सिनेमा, संगीत, कंप्यूटर, मशीनरी, भूमि-जायदाद, व्यापार, विदेशी संबंध और सरकारी क्षेत्रों में भी सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

आर्थिक स्थिति के संदर्भ में, मेष लग्न के जातक उच्च आकांक्षाओं और दृढ़ ऊर्जा के साथ धन अर्जित करने में सक्षम होते हैं। उनकी मेहनत और समर्पण उन्हें व्यापक स्तर पर वित्तीय सफलता दिलाने में मदद करते हैं। ये जातक अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। इसके अलावा, यदि उनके ग्रहों की स्थिति अनुकूल हो, तो वे और भी अधिक धन और संपत्ति प्राप्त कर सकते हैं।

मेष लग्न के जातकों के लिए ग्रहों की स्थिति का विशेष महत्व होता है। जब सूर्य, चंद्र, गुरु और शनि जैसे ग्रह शुभ होते हैं, तो ये जातक राजनीति, प्रशासनिक और आर्थिक कार्यों में भी विशेष सफलता प्राप्त करते हैं। इस प्रकार, मेष लग्न के जातकों की शिक्षा, व्यवसाय और आर्थिक स्थिति का गहरा संबंध उनके ग्रहों की स्थिति और उनकी व्यक्तिगत विशेषताओं से होता है, जो उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता की ओर अग्रसर करता है।

मेष लग्न जातको का प्रेम एवं वैवाहिक सुख

मेष लग्न के जातकों का प्रेम जीवन और वैवाहिक सुख मुख्य रूप से उनकी जन्म कुंडली में शुक्र और चंद्र की स्थिति पर निर्भर करता है। यदि कुंडली में चंद्र और शुक्र के साथ मंगल की स्थिति भी शुभ हो, तो जातक में विशेष आकर्षण और सौंदर्य की भावना विकसित होती है। ऐसे जातक विपरीत लिंग को जल्दी ही प्रभावित कर लेते हैं। विवाह के बाद, इन्हें धन और सुख के साधनों की प्राप्ति होती है, और उनकी जीवनसाथी भी सुंदर और गुणवान होती है।

यदि कुंडली में चंद्र या शुक्र के साथ भौम की स्थिति पाप युक्त या पाप दृष्टि वाली हो, तो जातक को स्त्री के संबंध में तनाव और कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इस प्रकार की स्थिति पारिवारिक समस्याओं को जन्म देती है। इसी तरह, यदि किसी लड़की की कुंडली में ऐसा योग हो, तो उसके पति के साथ भी तनाव और कलह की स्थिति बनी रहती है, जिससे दांपत्य जीवन में कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं।

मेष लग्न के जातकों के लिए उपयुक्त जीवन साथी का चयन करना महत्वपूर्ण है। ऐसे जातक को सिंह, तुला और धनु राशि के जातकों के साथ संबंध बनाने में अधिक अनुकूलता मिलती है। इन राशियों के जातक उनके जीवन में संतुलन और सुख का संचार कर सकते हैं, जिससे दांपत्य जीवन में सामंजस्य और प्रेम की वृद्धि होती है। इस प्रकार, सही साथी का चुनाव मेष लग्न के जातकों के लिए अत्यंत आवश्यक है।

मेष लग्न के जातकों का स्वास्थ्य, रोग एव सावधानियां

मेष लग्न के जातकों का स्वास्थ्य सामान्यतः संतोषजनक रहता है, जो मुख्यतः मंगल ग्रह की प्रभावशीलता के कारण है। यदि किसी कारणवश स्वास्थ्य में गिरावट आती है, तो वे शीघ्रता से ठीक हो जाते हैं। हालांकि, यदि लग्नेश मंगल नीच राशि में स्थित हो या अशुभ ग्रहों की दृष्टि में हो, तो छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। विशेष रूप से सिर में चोट, सिरदर्द, तेज बुखार, मुँहासे, मस्तिष्क विकार, चेचक, त्वचा संबंधी समस्याएं, आंखों के रोग और पेट के विकारों की संभावना अधिक होती है।

मेष लग्न के जातकों को अपनी उच्च महत्वाकांक्षाओं के कारण कभी-कभी अपने सामर्थ्य से अधिक कार्य करने की प्रवृत्ति होती है। इस कारण वे मानसिक तनाव, पाचन संबंधी समस्याएं, उत्तेजना और अनिद्रा जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याओं का सामना कर सकते हैं। इसलिए, उन्हें अपनी दिनचर्या में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए।

मेष लग्न के जातकों को हरी सब्जियों, फलों और पौष्टिक आहार का सेवन बढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही, उन्हें तंबाकू, मादक द्रव्यों और मांसाहार जैसे तामसी भोजन से बचना चाहिए। पर्याप्त आराम और नियमित व्यायाम भी उनके स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं, जिससे वे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें।

 मेष लग्न की स्त्रियां

मेष लग्न की महिलाओं की शारीरिक संरचना सामान्यतः मध्यम कद की होती है, जो संतुलित और आकर्षक दिखाई देती हैं। यदि इनकी कुंडली में मंगल, राहु और चंद्रमा शुभ स्थिति में हों, तो ऐसी महिलाओं के दांत सुंदर और घने होते हैं, साथ ही उनके लंबे काले बाल भी होते हैं। यदि पंचमेश सूर्य शुभ स्थान पर हो या शुभ ग्रहों की दृष्टि में हो, तो यह जातिका बुद्धिमान, चतुर, स्वतंत्र विचारों वाली, स्वाभिमानी, सत्यप्रिय, उत्साही, फुर्तीली, मिलनसार, उच्च आकांक्षाओं वाली और आदर्शवादी होती है।

पुरुष जातकों की तरह, इन महिलाओं में भी उत्साह, गर्मजोशी, स्फूर्ति, व्यवहार कुशलता, स्पष्टवादिता और नेतृत्व की भावना प्रबल होती है। वे दूसरों के मनोभावों को समझने में विशेष रूप से सक्षम होती हैं। जब ये किसी व्यक्ति को पसंद करती हैं, तो उसे पूरी निष्ठा और मनोयोग से चाहती हैं। हालांकि, यदि इनकी कुंडली में मंगल और शुक्र अशुभ स्थिति में हों, तो इनका स्वभाव निरंकुश और खर्चीला हो सकता है।

इन महिलाओं में आवेश, क्रोध और भावुकता की प्रवृत्ति भी होती है, जो कभी-कभी उन्हें अपने ही नुकसान का कारण बन सकती है। उनकी भावनाएं गहरी होती हैं, और वे अपने विचारों को स्पष्टता से व्यक्त करने में सक्षम होती हैं। इस प्रकार, मेष लग्न की महिलाएं एक जटिल लेकिन आकर्षक व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो उन्हें समाज में एक विशेष स्थान प्रदान करता है।

मेष लग्न में कारक ग्रह और शुभ अशुभ योग

मेष लग्न में ग्रहों के शुभ और अशुभ प्रभावों का विश्लेषण करते समय यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि गुरु, सूर्य और मंगल इस लग्न में सकारात्मक फल देने वाले ग्रह माने जाते हैं। इसके विपरीत, बुध और शुक्र इस लग्न में अक्सर नकारात्मक परिणाम उत्पन्न करते हैं। इसके अलावा, गुरु और शनि का संयोजन भी हमेशा शुभ फल नहीं देता है, जबकि शुक्र, जो मारक स्थानों का स्वामी है, अकेले में घातक नहीं होता है। चंद्रमा, राहु, केतु और शनि अन्य ग्रहों के साथ मिलकर शुभ और अशुभ फल प्रदान करते हैं।
 

शुभ और अशुभ योगों का अध्ययन करते समय, सूर्य और मंगल का योग 1, 3, 5, 7, 10 और 12 वें भाव में शुभ फल देता है, जबकि अन्य भावों में यह अशुभ फल उत्पन्न करता है। इसी प्रकार, सूर्य और चंद्र का योग 2, 4, 5, 9 और 10 वें भाव में सकारात्मक परिणाम देता है, जबकि अन्य भावों में इसके प्रभाव नकारात्मक होते हैं। सूर्य और शुक्र, साथ ही सूर्य और शनि का योग हमेशा निष्फल रहता है। चंद्र और गुरु का योग मेष लग्न के पंचम और नवम स्थानों में विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
 

मंगल और गुरु का योग, जो लग्नेश और भाग्येश का संयोजन है, 1, 5, 9 और 10 वें भाव में विशेष प्रशंसा प्राप्त करता है। इस प्रकार, मेष लग्न में ग्रहों के विभिन्न योगों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर महत्वपूर्ण होता है। इन ग्रहों के संयोजन और उनके स्थान के अनुसार, व्यक्ति को शुभ और अशुभ फल प्राप्त होते हैं, जो उसके जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करते हैं। 

मेष लग्न में दशा-अंतर्दशा का फल

दशा और अंतर्दशा के प्रभाव और शुभ-अशुभ फल पर विचार करते समय, मेष राशि के जातकों के लिए सूर्य, मंगल और चंद्र ग्रहों की दशा-अंतर्दशा सामान्यतः सकारात्मक परिणाम देती है। जब सूर्य और चंद्र शुभ भाव में स्थित होते हैं या एक-दूसरे पर शुभ दृष्टि डालते हैं, तो यह जातकों के लिए उत्कृष्ट फल का कारण बनता है। इस स्थिति में विद्या, प्रतिस्पर्धा में सफलता, और भूमि, भवन, तथा सवारी जैसे सुखों की प्राप्ति होती है।

इसके विपरीत, बुध की दशा और अंतर्दशा अशुभ फल देने वाली मानी जाती है। मेष राशि के जातकों को गुरु, शुक्र, और शनि की दशा और अंतर्दशा मिश्रित परिणाम देती है। गुरु की दशा का प्रारंभिक भाग शुभ होता है, जबकि शेष भाग व्ययशील रहता है। इस प्रकार, जातकों को अपने खर्चों पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

शनि की प्रारंभिक दशा में कार्यों में विलंब हो सकता है, लेकिन शेष अवधि में सफलता की प्राप्ति होती है। राहु और केतु अपनी स्थिति और ग्रहों के साथ संबंध के अनुसार शुभ और अशुभ फल प्रदान करते हैं। इस प्रकार, मेष राशि के जातकों को ग्रहों की दशा और अंतर्दशा के प्रभाव को समझकर अपने निर्णय लेने चाहिए।

मेष लग्न में शुभ रत्न, रंग, दिन, भाग्यांक, उपासना और भाग्योदयकारक वर्ष

मेष राशि या लग्न के जातकों के लिए सवा आठ रत्ती का मूंगा या सवा पांच रत्ती का माणिक्य सोने की अंगूठी में तर्जनी उंगली में पहनना अत्यंत शुभ और लाभकारी माना जाता है। यह रत्न न केवल उनकी ऊर्जा को बढ़ाता है, बल्कि उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन भी लाता है।

शुभ रंगों में लाल, पीला, श्वेत, संतरी, हल्का नीला और भूरा शामिल हैं। ये रंग जातकों के व्यक्तित्व को उजागर करने में मदद करते हैं और उनके जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने का कार्य करते हैं। इन रंगों का उपयोग उनके दैनिक जीवन में किया जाना चाहिए ताकि वे अपने लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकें।

मेष राशि का भाग्यांक 9 है, जो उथल-पुथल और संघर्ष का प्रतीक है। इस अंक के व्यक्ति कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने लक्ष्यों को हासिल करते हैं। इसके अलावा, 1 और 5 अंक भी इन जातकों के लिए शुभ माने जाते हैं। गायत्री मंत्र का जप और श्री हनुमान की उपासना इन जातकों के लिए कल्याणकारी सिद्ध होती है, और 28, 30, 32, 36, 37 तथा 41 वर्ष उनके लिए भाग्योदय के वर्ष होते हैं।

lakshmi narayan

Lakshmi Narayan is a famous astrologer of Durg/Bhilai, he is the perfective of Shani Dev and solves the problems of the people with the power of his knowledge and sadhana. Astrology is a spiritual practice which is a science related to God and spirituality, astrology is incomplete without spiritual practice. Lakshmi Narayan solves the problems of astrology only based on 'Sadhana'.

Post a Comment

Previous Post Next Post