आट्टकाल सिद्धपीठ मंदिर: Attakal Siddha Peeth Mandir

 
आट्टकाल सिद्धपीठ मंदिर

आट्टकाल सिद्धपीठ मंदिर

आट्टकाल सिद्धपीठ, जो दक्षिण भारत में स्थित है, मां पार्वती की पुत्री दुर्गा भगवती का एक अत्यंत प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम में स्थित है और रेलवे स्टेशन से लगभग 1.50 किलोमीटर तथा पद्मनाभ स्वामी मंदिर से 2 किलोमीटर की दूरी पर कोवलम रोड पर स्थित है। इसे महिलाओं के लिए सबरीमाला के नाम से भी जाना जाता है और यह पोंगल त्योहार के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यह पर्व हर वर्ष फरवरी से मार्च के बीच 10 दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें विश्व के विभिन्न देशों की महिलाएं भाग लेती हैं।

पोंगल महोत्सव के दौरान, लगभग 40 लाख महिलाएं इस मंदिर में एकत्र होती हैं, जो कि किसी अन्य मंदिर में देखने को नहीं मिलता। यह माता पार्वती की पुत्री दुर्गा भगवती का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। इस सिद्धपीठ की विशेषता यह है कि यहां पूजा-अर्चना करने से भक्तों को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह स्थान न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल भी है।

आट्टकाल सिद्धपीठ को एक सिद्धिदायक स्थान माना जाता है, जहां भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यहां की पूजा विधि और अनुष्ठान विशेष रूप से भक्तों को आकर्षित करते हैं। इस मंदिर की महिमा और यहां की धार्मिक गतिविधियों ने इसे एक अद्वितीय स्थान बना दिया है, जहां श्रद्धालु अपनी आस्था के साथ आते हैं और मां दुर्गा भगवती से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

आट्टकाल सिद्धपीठ एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहाँ देवी पार्वती की पूजा की जाती है। इस मंदिर में भगवान शिव, गणेश और नागराज की भी प्रतिष्ठा है। यहाँ पर सभी हिंदू त्योहारों को बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मंदिर में मंडलावर्थम, कार्तिक दशहरा, दीपोत्सव, अहिल्या-पूजा, पूर्णिमा-पूजा, रामायण, प्रायाणम, अखंड जाप, गणेश चतुर्थी, सरस्वती-पूजा, कार्तिक त्योहार, महाशिवरात्रि और नवरात्रि पूजा जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर विशेष आयोजन किए जाते हैं।

हर वर्ष फरवरी से मार्च के बीच, लगभग एक लाख महिलाएं प्रतिदिन इस मंदिर में दर्शन करने आती हैं। विशेष रूप से पोंगल के त्योहार के दौरान, एक ही दिन में 40 लाख महिलाएं यहाँ दर्शन करती हैं। यह मंदिर शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध है, जहाँ श्रद्धालुओं की अपार भीड़ देखने को मिलती है।  

आट्टकाल सिद्धपीठ की धार्मिक महत्ता और यहाँ की सांस्कृतिक गतिविधियाँ इसे एक अद्वितीय स्थान बनाती हैं। यहाँ आने वाले भक्तों की संख्या और त्योहारों का आयोजन इस मंदिर की लोकप्रियता को दर्शाता है। यह स्थल न केवल आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर को भी बढ़ावा देता है।

आट्टकाल सिद्धपीठ मंदिर की महत्ता

आट्टकाल सिद्धपीठ मंदिर का महत्व दक्षिण भारत में अत्यधिक है। इसे महिलाओं के लिए सबरीमाला के रूप में भी जाना जाता है। जो श्रद्धालु पद्मनाभ स्वामी के दर्शन के लिए आते हैं, उनके लिए इस देवी मंदिर का दर्शन करना अनिवार्य माना जाता है, अन्यथा उनकी यात्रा अधूरी रहती है।

इस मंदिर में पोंगल महोत्सव का आयोजन भव्यता के साथ किया जाता है। यह महोत्सव दस दिनों तक चलता है और फरवरी-मार्च के बीच मनाया जाता है। इस आयोजन की ख्याति विश्वभर में फैली हुई है, और इस दौरान भक्तों की विशाल संख्या मंदिर के चारों ओर देखी जा सकती है। सड़कें, खेत और सरकारी कार्यालय सभी भक्तों से भरे रहते हैं।

केरल और अन्य भारतीय राज्यों से लगभग 40 लाख महिलाएं इस महोत्सव में भाग लेने के लिए आती हैं। इस विशाल जनसैलाब के कारण इस मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया है। इस प्रकार, आट्टकाल सिद्धपीठ मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है। 

आट्टकाल सिद्धपीठ मंदिर में पोंगल महोत्सव का आयोजन उत्तर भारत के कुंभ मेले के समान धूमधाम से किया जाता है। इस मंदिर का निर्माण केरल और तमिलनाडु की सांस्कृतिक विशेषताओं का समावेश करते हुए किया गया है। इसकी वास्तुकला अत्यंत आकर्षक और मनोहारी है, जो श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचती है। मंदिर के परिसर में महिषासुरमर्दिनी, राजराजेश्वरी, मां सती, पार्वती और भगवान शिव की मूर्तियां अत्यंत कलात्मकता के साथ स्थापित की गई हैं।

मंदिर के परिक्रमा मार्ग पर अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों का भी समावेश किया गया है। भगवान विष्णु और देवी कन्नकी के चित्र गोकुल में सुंदरता से प्रदर्शित किए गए हैं। गोकुल में इंद्र-यज्ञ की कथाओं को चित्रित किया गया है, जो दर्शकों को आकर्षित करती हैं।

मंदिर का प्रवेशद्वार वास्तुकला का एक अद्वितीय उदाहरण है, जिस पर विभिन्न कथाओं को चित्रित किया गया है। यह न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि कला और संस्कृति का भी प्रतीक है। इस प्रकार, आट्टकाल सिद्धपीठ मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहाँ श्रद्धालु और पर्यटक दोनों ही आस्था और कला का अनुभव कर सकते हैं।

मंदिर के गर्भगृह में मां पार्वती की एक भव्य मूर्ति स्थापित की गई है, जिसे स्वर्ण आभूषणों से सजाया गया है। इस पत्थर की मूर्ति पर स्वर्णपत्र का अधिष्ठान किया गया है, जो इसकी दिव्यता को और बढ़ाता है। इसके साथ ही, देवी आट्टकाल भगवती की मूर्ति भी इस स्थान पर दर्शनीय है, जो भक्तों को अपनी कृपा से संजीवनी प्रदान करती है।

मंदिर के काउंटर पर सभी श्रद्धालुओं को एक सोने का लॉकेट प्रदान किया जाता है, जो उन्हें विभिन्न विपदाओं से सुरक्षित रखने का कार्य करता है। यह लॉकेट भक्तों के लिए एक अमूल्य आशीर्वाद के रूप में कार्य करता है, जिससे उनकी आस्था और विश्वास में वृद्धि होती है। इस प्रकार, यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक अनुभव का केंद्र है, बल्कि भक्तों के लिए सुरक्षा और समृद्धि का प्रतीक भी है।

lakshmi narayan

Lakshmi Narayan is a famous astrologer of Durg/Bhilai, he is the perfective of Shani Dev and solves the problems of the people with the power of his knowledge and sadhana. Astrology is a spiritual practice which is a science related to God and spirituality, astrology is incomplete without spiritual practice. Lakshmi Narayan solves the problems of astrology only based on 'Sadhana'.

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